मंदिर का इतिहास :-
चारभुजा से 2 मील दूर स्थित है सेवन्त्री गाव | जिसमे अविश्वसनीय वास्तु कला एवं महाराणाओ के इतिहास को संजोये हुए है . श्री रूपनारायण का विराट मंदिर जिसमे भगवान विष्णु की प्रतिमा एवं मंदिर के उत्तर में भगवान गणेश जी का मंदिर स्थित है | जो राजस्थान के वीरो के इतिहास एवं बलिदान का साक्षी है
इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व (1653 ई.)भगवान कृष्णा की महान भक्त मीरा बाई के भतीजे श्री जगत सिंह चुण्डावत द्वारा बनवाया गया |
इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व (1653 ई.)भगवान कृष्णा की महान भक्त मीरा बाई के भतीजे श्री जगत सिंह चुण्डावत द्वारा बनवाया गया |
मंदिर का स्थान :-
यह प्राचीन मंदिर शहर चारभुजा से 5 किलोमीटर की दुरी पर और राजसमन्द शहर से 40 किलोमीटर दूर ग्राम
सेवन्त्री , जिला - राजसमन्द राजस्थान में स्थित है |
मंदिर की वास्तुकला:-
यह मंदिर दक्षिन भारत के मंदिरों की वास्तुकला शैली द्वारा बनाया गया है| यह मंदिर सूर्यमुखी है| जिसकी उत्तर दिशा में भगवन श्री गणेशजी का मंदिर है तथा मुख्य द्वार पर दो हाथी बने हुए है, जिस पर महावत सवार है यह मंदिर सर्वधर्म से पूजनीय है | इस्लाम एवम् पारसी धर्म के अनुयायी भी इस मंदिर का सम्मान करते है यह मंदिर सघन वनों से घिरा हुआ है तथा पास में गोमती नदी बहती है |
निर्माण की सामग्री: पत्थर, चूना |